भीम आर्मी बनी थी षडयन्त्र का शिकार ?
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर अब जेल से बाहर आ चुके हैं और उन्होंने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने बताया कि भीम आर्मी का जन्म शोषित-पीड़तों को शिक्षा व् न्याय देने के लिए हुआ था। जो देश को आगे ले जाने वाला एक साहसिक कदम है। भीम आर्मी देश में लगभग 1000 स्कूल गरीबों के बच्चों के लिए चला रहे हैं। भीम आर्मी वाले लोगों से एक-एक-एक रुपया लेकर गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराते हैं। इन भीम आर्मी वालों ने कभी भी किसी निर्दोष आदमी को एक थप्पड़ तक नहीं मारा और न ही किसी को सताया। ये लोग केवल उन कुरीतियों के खिलाप केवल संविधान के दायरे में रहकर आवाज उड़ाते हैं। जैसा कि उनसे से पता चला है , गांव शब्बीरपुर में ठाकुर जाति के लोग ने महाराणा प्रताप की जयंती बिना परमिशन ( न शासन और न ही ग्राम प्रधान की परमिशन ) अछूत बस्ती से निकलने के दौंरान भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. आंबेडकर की मूर्ति पर कालिख पोती और उनकों लॉउडीस्पीकर लगाकर उपशब्द कहे जो अछूत समाज के लोगों को बुरा लगा और उन्होंने विरोध किया व् पुलिस को भी सूचित किया था। ठाकुर जाति के लोग पुलिस की मौजूदगी में नंगी तलवारें व खतरनाक हथियार हवा में लहरा रहे थे।
उन्होंने बताया कि ये जो महाराणा प्रताप की जयंती एक नई परम्परा शुरू की थी जो देश में अब से पहले कही भी और कोई भी नहीं मनाता था । जब अछूतों ने गांलियां का शांतिपूर्वक विरोध किया तथा अछूतों के विरोध के दौंरान ठाकुर जाति के लोगो ने लाऊडस्पीकर से उन्हें गालिया देना चालू कर दिया और पत्थर बाजी भी शुरू कर दी थी। इसके बाद लगभग ७-८ गॉवों के ठाकुरों ने इकट्ठा होकर अछूतों के लगभग सैकड़ों घरों आग लगा दी जिससे उन गरीब लोगों का जान माल का भरी नुकशान हुआ। और ये सब कारण आप पुलिस के ढीले रवैया कहो या जातिवादी मानसिकता वाली सरकार की मिलीभगत कहो।