बाबा साहेब की की 22 प्रतिज्ञा जो उन्होंने 1956 में बौद्ध धम्म पर “वापस लौटते” वक्त ली थी
-
- मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
- मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
- मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
- मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ
- मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ
- मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा.
- मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा
- मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा
- मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ
- मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा
- मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा
- मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.
- मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा.
- मैं चोरी नहीं करूँगा.
- मैं झूठ नहीं बोलूँगा
- मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा.
- मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा.
- मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा.
- मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ
- मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.
- मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म में वापस लौटने के द्धारा ).
- मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा.
डा बी.आर. अम्बेडकर