दल बदलू नेता का न कोई स्थाई दोस्त होता है और न ही स्थाई दुश्मन’ इस कहावत को सच साबित किया है स्वामी प्रसाद मौर्या ने। कभी बीजेपी के कट्टर विरोधी माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या ने बसपा से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी ने भी राजनीतिक लाभ को देखते हुए और मौर्या के तीखे हमले को भुलाकर उनका पार्टी में स्वागत किया है।
गुजरात दंगे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘कसाई से भी बड़ा पापी’ व भाजपा को ‘दंगा पार्टी’ बताने वाले मौर्य अब उन्हीं की शान में कसीदे गढऩे को तैयार हैं। इतना ही नहीं हिंदू देवी-देवताओं पर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद बखेड़ा करने वाली भाजपा भी वोटों की खातिर मौर्य को सिर-आंखों पर बिठाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही। पार्टी में शामिल होते ही भाजपा को लेकर मौर्य का गुस्सा ठंडा हो गया है। अब न तो उन्हें मोदी की सरपरस्ती से गुरेज है और न ही उनकी नजर में भाजपा अब दंगा पार्टी रह गई। अपने सियासी वजूद को बनाए रखने के लिए मौर्य अब अपने समर्थकों के साथ उसी भाजपा को सूबे की सत्ता पर काबिज कराने की मुहिम का हिस्सा बन गए हैं जिसे खरी-खोटी सुनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखते थे।