देश की तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी बसपा भी दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए सतर्क हो गई है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है । गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में समीक्षा बैठक कर बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दिया।
दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय सुनाते हुए पार्टी के भरोसेमंद और अनुभवी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई। क्षेत्रवार तैयारी की समीक्षा में कई स्थानों पर मिली खामियां तत्काल दूर करने के निर्देश दिए। प्रत्याशी चयन में जातीय समीकरण देखने के निर्देश दिए। खासतौर से तीन वरिष्ठ सांसदों राजाराम, डॉ. अशोक सिद्धार्थ व वीरसिंह एडवोकेट को एक-एक लोकसभा सीट की 10-10 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई।
राजाराम को दक्षिण दिल्ली, अशोक सिद्धार्थ को पूर्वी दिल्ली व वीर सिंह को चांदनी चौक सीट के विधानसभा क्षेत्रों का दायित्व सौंपा गया है। इन संसदीय क्षेत्रों की कुछ विधानसभा सीटों पर पार्टी को अपनी मजबूत स्थिति लगती है। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगी विधानसभा सीटों पर भी पार्टी की खास नजर है। सूत्रों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो ने कुछ सीटों के प्रत्याशी भी तय कर दिए हैं। हालांकि, उन्हें अभी प्रभारी ही कहा जाएगा। चुनाव की अधिसूचना होने के बाद प्रत्याशियों की सूची जारी की जाएगी।
एक समय ऐसा था जब प्रदेश में बसपा की तूती बोलती थी, पार्टी को लगभग 15 प्रतिशत से अधिक मत मिलते थे। बसपा के दिल्ली प्रदेश में कई विधायक व पार्षद बनते रहे हैं।