छत्तीसगढ़ के चुनावी समय में भाजपा में भारी अंतरकलह व गुटबाजी पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसी वजह से पार्टी दर्जनों उम्मीदवारों की लिस्ट रोक दी है। उधर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं होने से पार्टी पदाधिकारियों और टिकट के दावेदारों का दबाव बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री निवास पर पिछले तीन दिन से रोजाना टिकट पर आला नेताओं के साथ मंथन चल रहा है, लेकिन हर सीट पर अंतरकलह व गुटबाजी की स्थिति में नाम को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। सूत्रों की मानें तो पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा अंतिम दिन में करेगी जिससे अंतरकलह व गुटबाजी का चांस न मिलें। मगर सूत्रों से ये भी पता चला है कि बिल्ली खायेगी नहीं तो खाने भी नहीं देगी वाली स्थिति भी पैदा हो सकती है।
भाजपा ने सरगुजा की प्रेमनगर और रामानुजगंज में बड़े नेताओं की बगावत और एकराय नहीं होने के कारण घोषणा रोक दी है। प्रेमनगर में सामान्य सीट होने के बावजूद आदिवासी नेताओं की दावेदारी ने भी पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। वहीं, रामानुजगंज में सांसद रामविचार नेताम को मैदान में उतारने और नहीं उतारने के बीच टिकट की घोषणा अटक गई है।
पिछले चुनाव में प्रेमनगर से रेणुका सिंह लगभग बीस हजार और रामानुजगंज से रामविचार नेताम को लगभग बारह हजार वोटों से हार मिली थी। बिलासपुर जिले की कोटा और जैजेपुर सीट पर जातिगत समीकरण के आधार पर घोषणा नहीं हो पाई है।
कोटा में पार्टी कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा कर रही है जिससे पार्टी के कार्यकर्ता खासे नाराज हैं। यहां से रेणु जोगी विधायक है, लेकिन कांग्रेस में इस बार उनके टिकट पर संशय है। वहीं, जैजेपुर सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के डॉ खिलेश साहू को हार मिली थी। यहां बसपा के केशव चंद्रा को जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास तीसरे स्थान पर थे। रायपुर संभाग की रायपुर उत्तर और बालौदाबाजार पार्टी के बड़े नेताओं की खींचतान में फंस गई है। रायपुर उत्तर में जातिगत समीकरण तो बलौदाबाजर में सांसद रमेश बैस को उम्मीदवार बनाने का पेच फंस गया है।
सराइपाली और बसना जैसी सीटों पर साहू बिरादरी के लोगों की दावेदारी के कारण पार्टी की उलझन बढ़ी है। जबकि दोनों सीट पर भाजपा के ही विधायक हैं।
महासमुंद में पार्टी की कोशिश निर्दलीय विधायक विमल चोपड़ा को अपने पाले में लाने की है। केंद्रीय स्तर पर सहमति नहीं बनने के कारण घोषणा रुक गई है। वहीं विमल चोपड़ा एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं।
दुर्ग संभाग की संजारी बालोद, गुंडरदेही, वैशाली नगर में बड़ा पेंच फंसा है। संजारी-बालोद के पैनल में साहू समाज से तीन नेताओं का नाम है। इसमें पूर्व विधायक मदन साहू के बेटे नरेश साहू की दावेदारी सामने आ रही है।
पिछले चुनाव में मदन साहू के परिवार से टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी को 30 हजार से ज्यादा वोट से हार मिली थी। वहीं, गुंडरदेही से मंत्री रमशीला साहू को एडजेस्ट करने और वैशाली नगर में सांसद सरोज पांडे को उम्मीदवार बनाने की चर्चा के कारण घोषणा अटकी है।
जो पार्टी में पैसे देता है, भाजपा में उसे ही टिकट मिलता है।
कोरिया जिले की मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा की कलह सामने आई है। यहां से भाजपा के बागी नेता लखन श्रीवास्तव ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. लखन श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी।
बागी नेता लखन श्रीवास्तव ने भाजपा प्रत्याशी श्यामबिहारी जायसवाल पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि निर्दलीय चुनाव न लड़ने पर एक करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव दिया है। श्रीवास्तव ने पार्टी पर भी पैसे देने वालों को टिकट देने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो पार्टी में पैसे देता है, उसे ही टिकट दिया जाता है।
बिलासपुर में पार्टी में भारी विद्रोह।
बिलासपुर में भाजपा प्रत्याशी अमर अग्रवाल के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले भाजपा नेता पूरन छाबरिया को पुलिस ने जबरजस्ती घसीट कर थाने ले गई।
कांग्रेस में भी 35 सीटों पर भारी अंतर कलह।
भाजपा की तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भी भारी अंतर कलह है , 35 सीटों पर नामों को लेकर खासा विवाद चल रहा है। और अभी तक नाम फाइनल नहीं किये हैं इस फेर में उन प्रत्याशियों को प्रचार के लिए काफी कम वक्त मिलेगा जिसका परिणाम पार्टी को भुगतना पड़ेगा , जिनके नाम नामांकन के अंतिम दिनों में घोषित होंगे।