छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में बोड़रा गांव के 11 परिवार पिछले 5 साल से रोजाना एक घंटे का समय साथ बिता रहे हैं। हर दिन किसी एक घर में साथ बैठकर गोष्ठी करते हैं। आपस में सुख-दुख की बातें और जरूरत पर मदद की योजना भी बनाते हैं। ऐसा इसीलिए ताकि मोबाइल और इंटरनेट की वजह से आपस में दूरी न बढ़े। इन परिवारों से जुड़े लोगों का कहना है कि संचार माध्यमों की वजह से प्रत्यक्ष तौर पर लोगों में दूरी बढ़ रही है, आमने-सामने का संवाद और तालमेल खत्म होने लगा है। इसी वजह से यह पहल की है, ताकि सामंजस्य बना रहे और सब एक-दूसरे के सुख-दुख में काम आ सकें।
बोड़रा में इन परिवारों के इस भाईचारे और पारिवारिक गोष्ठी की चर्चा धमतरी स्तर तक है। दिलचस्प ये है कि जुड़े हुए सभी 11 परिवारों में कोई रिश्तेदार नहीं है, जाति भी अलग है। बोड़रा के लोगों ने बताया कि यह पहल दो-तीन परिवारों ने मिलकर पांच साल पहले की थी। पहले परिवार गोष्ठी में केवल इन परिवारों के मुखिया हिस्सा लेते थे। अब 11 परिवार के 70 सदस्य इसमें जुड़े हैं। गोष्ठी में बड़ों से लेकर बच्चों के क्या विचार हैं, सामाजिक, पारिवारिक, गांव-राज्य स्तरीय सभी तरह की बातों पर चर्चा की जाती है। किसी परिवार में कोई समस्या है, कोई जरूरत है, उसका निदान आपस में निकाला जाता है। अब तो युवा पीढ़ी भी इस पहल से जुड़ रही है।
बोड़रा गांव के टोमनलाल साहू और ओमेन लाल साहू बताते हैं कि एक गांव में रहने के बावजूद पहले उनकी मुलाकात कभी-कभार हो पाती थी। पता ही नहीं चलता था कि पड़ोस या मोहल्ले में क्या दिक्कतें हैं। युवाओं से भी बहुत मदद नहीं मिलती थी, क्योंकि उनका समय मोबाइल और टीवी में गुजरने लगा है। इसीलिए शंकरलाल साहू, पवन साहू और विष्णु साहू ने रोज शाम को एक घंटा आपस में बैठकर बातचीत का निर्णय लिया। इसके बाद परिवार गोष्ठी में ओमेनलाल व टोमनलाल के साथ खिलावन दीवान, योगेश्वर वर्मा, प्रीतम साहू, हीरालाल साहू, संतोष कुमार परिवार भी जुड़े। अब हफ्तेभर किसी एक सदस्य के यहां रोजाना शाम को साढ़े 6 से साढ़े 7 बजे तक परिवार गोष्ठी की जा रही है। रविवार या किसी विशेष अवसर पर ही दोपहर को एक घंटे यह बैठक करते हैं।
ओमेन ने बताया-हमने बैठक में तय किया था कि शादी में तामझाम नहीं करेंगे। मेरी बड़ी बेटी की शादी इसी तरह हुई। यही नहीं, सभी परिवारों के सदस्यों ने काम बांट लिए और जिम्मेदारी निभाई। टोमनलाल ने बताया कि जुड़े हुए परिवारों में से किसी के घर में कोई बीमार हो तो सब मिलकर आर्थिक मदद करते हैं।
गांव में करीब 10 हजार वर्गफीट में सब्जी-भाजी उगाई जा रही है। टोमनलाल की जमीन पर जैविक खेती में सभी 11 परिवार के लोग लगे हैं। पालक, मेथी, सरसों, मूली, गोभी, मिर्ची, धनिया, टमाटर, बैगन समेत अन्य सब्जियां लगा रहे हैं। सभी रोज इसके लिए आधा घंटा निकाल रहे हैं। सभी यहीं से सब्जी ले जाते हैं।
गांव के बाकी परिवार भी उनसे जुड़ रहे हैं। दूसरे लोग प्रेरित हों, इसलिए गांव में हर साल दो दिन का मानव उत्सव मनाया जा रहा है। उत्सव से जुड़े बसंत साहू ने बताया कि एकजुटता के लिए 5 साल से उत्सव मना रहे हैं। इसमें गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग और महिलाएं भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं।