उमर अब्दुल्ला द्धारा ममता बनर्जी का PM पद के लिए नाम उछालना कॉंग्रेस की रणनीति थी ?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता उमर अब्दुल्ला ने जुलाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मुलाकात की थी और ये मुलाकात बंगाल प्रशासन मुख्यालय में हुई थी इस बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला और ममता बनर्जी ने एक दूसरे की तारीफ की और कहा कि अगले लोकसभा चुनावों के लिए संभावित विपक्षी मोर्चा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर किसी का भी नाम नहीं चुना जाना चाहिए. साथ ही ममता बनर्जी ने बीजेपी से मुकाबला करने के लिए विपक्षी पार्टियों से त्याग करने की अपील की. जब पत्रकारों ने पूछा कि एकजुट विपक्ष के महागठबंधन की तरफ से क्या बनर्जी प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगी ? इसपर अब्दुल्ला ने कहा कि वह दीदी को दिल्ली ले जाने के लिए कोलकाता आए हैं।

ममता बनर्जी ने कहा कि अगर अभी से ही हम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान कर देते हैं, तो ऐसा करने से यह भाजपा से लड़ने की क्षेत्रीय पार्टियों की एकजुटता को विभाजित कर देगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा विरोधी क्षेत्रीय पार्टियों को साथ आना चाहिए और उन्हें देश के फायदे के लिए बलिदान देना चाहिए.

क्या इस मुलाकात के पीछे कांग्रेस का हाथ था ?

हमने ममता बनर्जी और उमर अब्दुल्ला की मुलाकात को लेकर कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि उमर अब्दुल्ला का नेहरू गाँधी फॅमिली के साथ कई पीढ़ियों से परिवारिक रिश्ता है और हो सकता है कि मायावती को डाउन करने के लिए कांग्रेस ने ही उमर अब्दुल्ला को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने भेजा हो व उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए उछलवाना कांग्रेस की सोची समझी चाल हो सकती है।

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