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बसपा नेता योगेश वर्मा के रिहा होते ही स्वागत में उमड़ा जान-समूह

बसपा नेता योगेश वर्मा पर से कोर्ट ने रासुका हटा दी तथा उनके जेल से रिहा होने पर लोगों में ख़ुशी का माहोल बन गया।  लाखों लोगों का जन समूह उनके स्वागत में निकल पड़ा तथा रोड पर उनके समर्थकों की गाड़ियों की लम्बी कतारों से जाम तक लग गया। उन्होंने…

भीमा कोरेगाँव के दंगा की असली गवाह वीडिओ क्लिप

भीमा कोरेगाँव में 1 जनवरी 2018 को जो दंगा हुआ था उसका असली सबूत इस वीडिओ क्लिप में है जो एनसीपी लीडर डॉक्टर जितेंद्र अवहाद ने अपने ट्वीटर एकाउंट से शेयर की थी। उन्होंने दावा किया कि दंगा से पहले सम्भाजी भिड़े असली नाम मनोहर कुलकर्णी  व्…

इन 10 बातों ने कांशीराम को बहुजन राजनीति का चेहरा बनाया

हम अक्सर उत्तर भारत में बदले हुई राजनीतिक परिदृश्य के लिए मंडल युग की बात करते हैं जिसके तहत पिछड़ा वर्ग अपने अधिकारों को लेकर पहली बार सचेत हुआ था. यही वक्त दलितों के भी राजनीतिक रूप से चेतनशील होने का था हालांकि उन्हें हमेशा से भारत में…

‘जब कांशीराम राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार नहीं हुए’

1977 की एक सर्द रात ग्यारह बजे जैसे ही मायावती ने खाना खाने के बाद पढ़ना शुरू किया, उनके दरवाज़े की कुंडी बजी. जब मायावती के पिता प्रभुदयाल दरवाज़ा खोलने आए तो उन्होंने देखा कि बाहर मुड़े-तुड़े कपड़ों में, गले में मफ़लर डाले, लगभग गंजा हो…

कांशीराम के बिना बसपा?

नौ अक्टूबर को कांशीराम का देहांत हुए दस वर्ष हो गए हैं. क्या यह सिर्फ संयोग है कि इस समय उनकी राजनैतिक उत्तराधिकारी मायावती और बहुजन समाज पार्टी सबसे कठिन दौर से गुजर रही है या इसके पीछे कांशीराम का न होना भी एक कारण है? मायावती को भी शायद…

कांशीराम ने कैसे बदली राजनीति की इबारत?

भीमराव आंबेडकर के बाद कांशीराम को दलितों का सबसे बड़ा मसीहा माना जाता है.कांशीराम की दसवीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे हैं रेहान फ़ज़ल विवेचना में

कांशीराम के कहने पर मुलायम सिंह ने सपा बनाई

बहुजन के मिशन और सत्ता के सर्वजन का फ़र्क ही कांशीराम और कुमारी मायावती के बीच का फ़र्क है. 1984 में बनी बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम का नारा था 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.' लेकिन 2003 में पूरी तरह से कुमारी…