छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-भाजपा के मंसूबों पर पलीता लगायेगा माया-जोगी का गठबंधन
छत्तीसगढ़ में हाल में बना बेहद मजबूत राजनीतिक गठबंधन ने आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के बीजेपी और कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फैरने की त्यारी कर ली है।
छत्तीसगढ़ में बना राजनीतिक गठबंधन राज्य के मतदाताओं को पसंद आ जाता है, चुनाव जीतने के लिए गठबंधन के नेताओं ने पूरी तरह से कमर कस ली है। आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के बीजेपी और कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिर सकता है. बीजेपी ने राज्य विधानसभा चुनावों में लगातार तीन बार जीत हासिल की है. इस राजनीतिक गठबंधन में हाल में बनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. यहां तक कि अविभाजित मध्य प्रदेश में भी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें इसी क्षेत्र से मिलती थीं. छत्तीसगढ़ को साल 2000 में मध्य प्रदेश से काटकर अलग राज्य बनाया गया और अजीत जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. आई.ऐ.ऐस से राजनेता बने जोगी उस वक्त कांग्रेस पार्टी का हिस्सा थे.
खेल बिगाड़ेंगे अजीत जोगी:जोगी और उनके बेटे अमित को दो साल पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कांग्रेस से अलग होना पड़ा. इसके तुरंत बाद जोगी ने राष्ट्रीय नजरिये के साथ क्षेत्रीय इकाई- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) बनाई। आज वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती की तरह है। हालांकि, दोनों पार्टियां ऐसा मानने को तैयार नहीं हैं लेकिन हकीकत को झुठला नहीं सकते।
कांग्रेस के नेता अजीत जोगी की इस पार्टी को बीजेपी की ‘बी-टीम’ करार देते हैं, जबकि बीजेपी का कहना है कि जोगी की पार्टी यानी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा चुनावों में किसी तरह का प्रभाव पैदा नहीं कर पाएगी. बहरहाल, जोगी काफी तरकीब के साथ अपना चुनावी गेम खेल रहे हैं और उन्होंने मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और सीपीआई के साथ गठबंधन किया है। यह गठबंधन दो प्रमुख पार्टियों की संभावनाओं को पूरी तरह से बिगाड़ सकता है।
इस चुनाव में जेसीसी 53 सीटों पर,बीएसपी ने 35 सीटों तथा सी पी आई 2 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है। जैसा कि गठबंधन के तहत ज्यादा सीटें जेसीसी को मिलेंगी और चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी भी उसे ही मिलने की बात है। तीनों पार्टियों का गठबंधन सभी सीटों पर काफी प्रभावकारी हो सकता है और यह संख्या छत्तीसगढ़ में सरकार गठन का रुख बदलने के लिए पर्याप्त है।
मायावती की सलाह पर जोगी ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि वह अब सिर्फ 90 सीटों पर गठबंधन के चुनाव अभियान पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे न कि एक सीट पर। इससे पहले उन्होंने रमन सिंह को उनके घरेलू क्षेत्र राजनांदगांव में खुले मुकाबले के लिए चुनौती दी थी। इस फैसले से कॉंग्रेस और भाजपा दोनों की धड़कनें बढ़ गई हैं।
2013 के चुनावी गणित को ध्यान में रखें तो बीएसपी की 11 विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक मौजूदगी थी और इन सीटों पर उसका वोट शेयर 30 फीसदी तक था। गठबंधन के बाद बसपा को ज्यादा मजबूती मिली है। फिलहाल राज्य में पार्टी के एकमात्र विधायक केशव चंद्रा हैं। जिन्हें एक बार फिर से जैजैपुर से उम्मीदवार बनाया गया है। 2003 में बीएसपी ने विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत हासिल की थी-सारनगढ़ (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित) से कामदा झोले और मालखरौदा से लालसे खुंटे को विधानसभा चुनावों में विजय मिली थी। इसके बाद फिर 2008 में बसपा ने दो विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी इनमें अकलतरा और पामगढ़ विधानसभा सीटें शामिल थी।
CPI से भी तालमेल का मिलेगा फायदा :जोगी ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए सीपीआई से गठबंधन का ऐलान किया। दक्षिणी बस्तर-दंतेवाड़ा और कोंता में लेफ्ट पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए दो सीटें मिली हैं. इन दोनों सीटों पर पार्टी का पहले से काफी प्रभाव है। पूर्व विधायक और सीपीआई के मनीष कुंजम कोंता सीट पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के उप-नेता और कांग्रेस के मौजूदा विधायक कवसी लखमा के खिलाफ कोंता विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे।
राज्य में बीएसपी सुप्रीमो मायावती की योजना के मुताबिक करीब 6 जन सभाएं करने की है। दो सभाएं 4 नवंबर को डोंगरगढ़ और भिलाई में होंगी। इन सभाओं में जोगी के साथ – साथ सीपीआई के स्टार प्रचारक टी राजा भी शामिल होंगे।
अमित जोगी ने उम्मीद जताई कि क्षेत्रीय पार्टी जेसीसी की अगुवाई वाला उनका गठबंधन लोगों के बीच अपनापन का भाव पैदा करने में सफल रहेगा। अमित का कहना था कि उनके पिता का दलित, मुसलमान और ईसाइ समुदाय के लोगों के बीच समर्थन है और गठबंधन से संबंधित तीनों पार्टियां काडर आधारित हैं जिसका गरीबों और वंचितों से सीधा जुड़ाव है। उनके मुताबिक, इसके अलावा ये पार्टियां स्थानीय आकांक्षाओं को भी बखूबी समझती हैं।