जानिए, बसपा सुप्रीमों बहिन मायावती जी पढ़कर क्यों बोलतीं हैं ?
हमने इस मुद्दे पर गहन शोध किया तब हमें हैरान करने वाली बातें पता चली । जिसमे हमें संकीर्ण और जातिवादी सोच रखने वाले मीडिया की विरोधियो के साथ साठगाँठ नजर प्रतीत हुई । क्योंकि बसपा के विरोधी मीडिया के माध्यम से लगातार ३७ सालों से बसपा की अच्छाइयों की बावजूद बुराई करता आ रहा हैं और जनता ने कई बार बसपा को सपोर्ट करके मीडिया को करारा जबाव भी दिया है मगर वो अपनी हरकतों से बाजे नहीं आतें हैं। मगर बसपा के विरोधियो के साथ-साथ मीडिया भी अपने मकसद मे अब सफल होता दिख रहा है जिसमे गरीब, शोशित, वंचित और अकलियतो के साथ-साथ पढ़े-लिखे लोग भी इनके षडयंत्र का शिकार हो रहें और इनके बहकावे में आ रहे हैं ।
आइये इस बारे में जानते हैं:
बहिन जी एक खास कूटनीति के तहत खुद के द्वारा तैयार किया गया भाषण को पढ़कर बोलतीं हैं जिसके निम्न कारण हैं ।
1. पढ़कर बोलने से शब्दों पर कंट्रोल रहता है जिससे विरोधी पार्टियाँ और संकीर्ण सोच वाले मीडिया नेगेटिव अंश नहीं ढूंढ पाते ।
2. पढ़कर बोलने से कोई महत्वपूर्ण बात नहीं छूटती है ।
3. पढ़कर बोलने से गलतियाँ होने के चांस नहीं होते हैं ।
4. देश ही नहीं दुनिया के खास विद्वान लोग महत्वपूर्ण बात को लिखकर लाते हैं और पढ़कर बोलते हैं ।
5. अच्छे स्वास्थ्य के लिए पढ़कर बोलना अति आवश्यक है ।
6. बहिन जी को पढ़कर बोलने के लिए मान्यवर कांशीराम साहेब ने सुझाव दिया था क्योंकि बहिन जी जब बिना लिखे-पढ़े बोलतीं हैं तब विरोधी पार्टियों और संकीर्ण सोच वालों के लिए अति कटु वचन बोल देतीं हैं जिससे पार्टी व समाज को नुकसान होने के चांस रहते हैं ।
अध्ययन में हमें ये भी पता चला कि बहिन जी ने हमेशा मानवतावादी, ईमानदारी व सभी का समान विकास की सोच रख कर ही कार्य करती हैं।
संकीर्ण और जातिवादी सोच रखने वाले सभी मीडिया बसपा के खिलाफ बोलने वालों को ढूढ-ढूढकर लाते हैं और बसपा सर्मथकों की बात को तोड़मरोड़कर दिखाते हैं ।